
Sab Sukh Lahay Tumhari Sarna, Tum Rakshak Kahu Ko Darna
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चाहे वह सुख की पराकाष्ठा हो या दुख और परीक्षाओं की अति, ईश्वर की शरणागति ही वह मार्ग है जिसके ज़रिए हम शांत, संतुष्ट और संतुलित रह सकते हैं।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना॥
अर्थात, हे प्रभु आपकी शरण में सारे सुख विद्यमान हैं। आपकी भक्ति से जीवन में आनंद, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यदि आप मेरे रक्षक हैं, तो फिर मुझे भला किस बात का भय हो सकता है।
आस्था और श्रद्धा वह संबल हैं जिनके सहारे हम कठिन से कठिन समय भी मुस्कुराकर पार कर जाते हैं। यह दोहा केवल भक्ति भाव की ओर संकेत नहीं करता, बल्कि हमारी मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास को भी जागृत करता है।
संकटमोचन हनुमान जी की छवि शक्ति, समर्पण और निडरता का प्रतीक है। श्री हनुमान चालीसा का यह दोहा मन में सुरक्षा और निर्भयता का भाव भरकर उसे शांत करता है। यह हमें बाहरी चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनाता है और भीतर के दुर्गुणों एवं नकारात्मक विचारों से मुक्त करता है।
ऐसी अद्भुत छवि और ऊर्जा का निवास यदि हमारे घर अथवा कार्यस्थल में हो तो वह न केवल किसी भी तरह की नकारात्मकता को दूर करता है बल्कि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
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